क्या कसूर था आखिर मेरा ? भाग २
आखिर बच कर जाएगी कहा दोनो की दोनो । अर्जुन के दोस्त अर्जुन से कहते है। आज नही तो कल पकड़ ही लें गै । वही अंजलि और मंजू भागते भागते अपने घर के नजदीक आ जाती है। अंजलि बच गए भगवान की किर्प से। वरना तू ने तो मरवा ही दिया था । जानती है वो कोन है उस सरपंच का बेटा है । जो गांव के आधे से ज्यादा लोगो की जमीन पर कब्जा किए बैठा है। ओर मै ने सुना है बोहोत जालिम है उस की पत्नि भी उससे खोफ खाती है। मंजू ने कहा
जब बाप ही ऐसा है तो बेटा तो ऐसा ही होगा । पुलिस मै रिपोर्ट कर वाऊंगी उसकी अंजलि गुस्से मै कहती है । ये सुन मंजू हसने लगती है । जिसे देख अंजलि को गुस्सा आता है वो उससे हसने की वजह पूछती है। मंजू हस्ते हुए कहती हे । बहन तुझे नही पता यहां की चौकी मै काम करने वाले पुलिस वालो का घर सरपंच के दिए खैरात से चलता है । वो क्या उसके खिलाफ कुछ कहे गै। सब के सब बिकाऊ है अमीरों के आगे । अंजलि गुस्से भरे लहजे से कहती है। चल अब छोड़ अब उससे कभी पंगा मत लेना जो हुआ सो हुआ। वो बाते करती हुई आगे बड़ी ही रही होती है कि अचानक सामने से अंजलि के पिता आ जाते है।
उन्हे इस तरह सामने देख दोनो घबरा गईं । ओर एक दूसरे को देखने लगी। दुर्जन क्या हुआ इतना घबरा क्यू गईं मुझे देख कर तुम दोनो । ओर इतना हाफ क्यू रही हो मुझे बताओ क्या हुआ । वो ...वो... काका हमारे पीछे मंजू उसे बताने को होती है कि तभी अंजली कहती है वो पिताजी कुछ नही बस ऐसे ही दौड़ लगा रहे थे। बचपन की याद ताजा करने के लिए । वैसे भी अब मंजू तो पराए घर चली जाएगी फिर पता नही कब मुलाकात हुआ करेगी। ये सुन अंजली के पिता कहते है वो बचपन था जब तुम स्कूल से दौड़ कर मेरे पास आती थीं। लेकिन अब तुम जवान हो ओर मंजू की सगाई होने वाली है। लोग देखे गै तो अलग अलग तरह की बाते बनाए गै।
ठीक है पिता जी। अंजलि कहती है। ओर अब तुम दोनो सीधा घर जाओ दादी भी अकेली है घर पर। । मै खेत पर जा रहा हू जुताई करना है शायद आज कल मै बारिश हो जाए । ओर सुन खाना बना रखा है बस थोड़े से भात चूल्हे पर चढ़ा देना और मंजू को भी घर ले जाना इसे भी खाना खिला लेना साथ मै । वैसे भी अब ये चंद रोज की मेहमान है।
मंजू क्या काका आपने तो मुझे अभी से पराया कर दिया अभी तो सिर्फ सगाई हो रही है शादी तो एग्जाम के बाद कही जा कर होगी । मुझे आपसे बात नही करनी। दुर्जन मुस्कुराते हुए मंजू के नजदीक आया और सिर पर हाथ रखते हुए कहता हे। बेटियां तो पराया धन है आज नही तो कल उन्हे उन के पिया को लोटाना ही पढ़ता है। अंजली ये सुन कहती है । मे ने नहीं जाना तुझे छोड़ कर किसी और के घर मै तो तेरे पास ही रहूंगी । दुर्जन अंजली के सर पर हाथ फेरते हुए । ये तो रीत है बेटा जो सदियों से चली आ रही है । ओर खुशकिस्मत होते है वो बाप जिन्हे अपनी बेटी का कन्यादान करना नसीब हो पाता है। क्या तू मुझसे ये हक छीन ना चाहती हो। ऐसा नही है पिता जी । अंजली कहती है। तो बस अभी कोई बहस नही होगी और ये कह कर वो उन दोनो को सीने से लगा कर आशीर्वाद देता है। ओर उन दोनो से विदा लेता है मै शाम को आऊंगा कही जाना मत दादी का खयाल रखना। पिताजी मेरे लिए आईसक्रीम ले कर आना शाम को अंजली कहती हे । ले आऊंगा ये कह कर दुर्जन वहा से चला जाता है
रास्ते मै मंजू अंजलि से तूने मुझे क्यू रोका काका को बताने से। आज के बारे मे। अंजली तू पागल है क्या । अगर पिताजी दादी को बता देते तो तुझे तो पता है ना दादी का मेरा घर से निकलना दूबर कर देती । तू तो जा रही है पिया के घर लेकिन मेरी आजादी छिन जाती जो भी चंद रोज की बची है। हा सही कह रही है तू । सारा जमाना हमे ही गलत समझता चाहे हम कितने ही सही होते। हमारी ही आजादी छिन जाती क्योंकि उनको तो कोई कुछ कह नहीं सकता लड़के हैं वो तो ।
बाते करते करते दोनो घर आ जाती है। मंजू , अंजली मै अपने घर जा रही हू । क्यू अंजली ने पूछा। बहन सुबह से गायब हू अब तो दोपहर हो चली है आज अम्मा खाना भी नही दे शायद कोई बात नही मेरे घर आ जाना अगर नही दे । अंजली ने टहाका लेते हुए मंजू से कहा।
उस के बाद वो दोनो अपने अपने घर की ओर चलने लगे मंजू और अंजली सुबह का हादसा भूल चूके होते है। । अंजली अपने घर मै घुस ही रही होती है की उसे याद आता है , कि अंदर तो दादी है। अगर उन्होंने उसको समान के साथ देख लिया तो फिर लेक्चर देने लगे गी। उसने अपना सारा सामान अपने दुपट्टे से छुपाया और अंदर घर मे दबे पाऊं घुस गईं । दादी को सोता देख उसने राहत की सास ली। ओर सीधा कमरे मे चली जाती है।
कमरे मे अंजली आयने के सामने खड़ी होकर परांदा को अपनी चोटी मै डाल कर खुद को आईने मे निहारती है। वो समान देख कर काफी खुश होती है वो कभी लाली लगती तो कभी काजल।
लेकिन दूसरी तरफ अर्जुन ने गांव की हर गली मैं कोहराम मचा रखा होता है । अंजली के ना मिलने पर वो अपने दोस्तो के सामने खुद को हारा हुआ समझ रहा होता है। ओर अपनी हवेली वापस आ जाता है ।
घर आ कर उसने अपने कमरे की सारी चीजों को तोड़ दिया । उसने सारे कमरे के शीशे तोड़ दिए क्योंकि उसमे उसकी हारी हुई शक्ल नज़र आ रही होती है। ये सब आवाज़ सुन उसकी मां , स्वाति देवी उसके कमरे मे आती है कमरे की हालत देख वो घबरा जाती है वो अर्जुन के पास आती है । वो काफी हाफ रहा होता है । तभी वो नौकरानी से पानी लाने का कहती हे। स्वाति देवी अर्जुन को पानी का गिलास उस के मूंह पर लगाती है कि तभी अर्जुन गुस्से मै उस गिलास को दूर फेंक देता है ।
ये देख स्वाति देवी उस के एक कस के चाटा मारती हैं। ओर कहती हे होश मे आओ अर्जुन क्या हुआ है तुम्हे। क्यू इतने अक्रमिक हो रहे हो । मुझे बताओ क्या हुआ है तुमको । या फ़िर शाम को अपने पिता को बताना पड़ेगा जब मै उन्हें तुम्हारे बारे मे बताऊंगी । वैसे ही वो चुनाऊ की वजह से परेशान है । ये सुन अर्जुन कहता है तू जा मां तू नही समझ पाएगी ये कहते हुए वो अपनी मां को अपने कमरे से जानें का कहता है। स्वाति देवी वहा से चली जाती है मन ही मन कुछ बड़बड़ाती हुई।
अर्जुन कमरे का दरवाजा बंद कर के । अपनी अलमीरा से शराब की बोतल निकाल कर पीना शुरु कर देता है और उसको पीता हुआ बेड पर गिर जाता है ।
शाम हो चली थी । अंजली अपने पिता का रास्ता देख रही होती है । आज तो बड़ी देर कर दी तेरे बाप ने खेत से लौटते हुए । दादी ने कहा । जरूर तू ने ही कुछ फरमाइश की होगी उससे जभी तो अभी तक नही आया । उसी को पूरा करने लगा होगा मेरा बेटा वरना तो सूरज ढलते ही घर को वापस आ जाता है । जा जरा मंजरी के घर जा कर पूछ उसका घर वाला आया की नही उसका खेत दुर्जन के खेत के पास है । अच्छा दादी ये कह कर वो दरवाजे की तरफ जा ही रहि होती है कि उसकी नज़र उसके पिता पर जाती है । जो काफी थका लग राहा होता है।
अंजली दौड़ कर उस के पास जाती है । ओर उसको सहारा देते हुए बाहर पड़ी खाट पर बैठा ती है और वही रक्खे मटके से ठंडा पानी उसे देती है। जिसे पीकर दुर्जन अपनी प्यास बुझा लेता है। क्या बात है बेटा आज बड़ी देर कर दी आने मे अंधेरा छा गाया चारो तरफ । उसकी मां ने प्यार भरी आवाज़ मै पूछा। कुछ नही मां , बस वो आज आइसक्रीम वाला जरा देर से आया इसलिए देर हो गई ये ले तेरी आईसक्रीम अंदर जा कर खा ले। दुर्जन , अंजली को देते हुए बोला। आह दुर्जन आह ये तेरी बेटी एक दिन हम दोनो को मार कर ही दम लेगी । पता है खेत पर कितना काम है बरसात आने वाली है खेत जोतने को पढ़ा है और वो अकेला करने वाला है। कुछ मदद नही कर सकती तो कम से कम उसे तंग तो ना कर।
आज अगर तेरी जगह कोई बेटा होता तो बाप का सहारा बनता और एक तू है सिर्फ बोझ ।
ओह अम्मा क्या तू सुबह शाम उसके पीछे पढ़ी रहती है । कोन सा मै ने उसे ताजमहल खरीद कर ला दिया सिर्फ दस रुपए की आइसक्रीम ही तो है। मे ने उसे दिया ही क्या है सिर्फ गरीबी के अगर मै उसकी छोटी छोटी ख्वाहिशें भी पूरी ना कर सकू । तो फ़िर मुझे पिता कहलाने का कोई हक नही।
मेरे प्यारे बाबा आप जैसा तो कोई दूसरा नही । ये कह कर अंजली दुर्जन को गले लगा लेती है । ये देख दादी दिल ही दिल मै ना जानें क्या क्या कहती रहती है।
Shnaya
07-Apr-2022 12:14 PM
Very nice👌
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Mohammed urooj khan
27-Jan-2022 08:20 PM
Thanks
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Simran Bhagat
27-Jan-2022 08:04 PM
Amazing
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